Friday, July 24, 2015

पंढरीसी जाय | तो विसरे बापमाय ||
अवघा होय पांडुरंग | राहे धरुनिया अंग ||
न लगे धन मान | देहभावे उदासीन ||
तुका म्हणे मळ | नासी तात्काळ ते स्थळ||

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