Friday, July 31, 2015

श्रीगुरुपायी ठेवी तू विश्वास | दासाचा तू दास होय त्याच्या ||
परब्रह्म राम वसिष्ठा शरण | कृष्णे संदीपन गुरु केला ||
वाल्मिका उपदेशी नारद तो मुनी | वंद्य त्रिभुवनी झाला वाल्हा ||
एकाजनार्दनी गुरु मज भेटला |मोकळा दाविला मार्ग तेणे ||

Thursday, July 30, 2015

सदगुरुवाचोनि सापडेना सोय | धरावे ते पाय आधी आधी || आपणासारिखे करिती तात्काळ | नाही काळवेळ मग त्यासी || लोह परिसाची न साहे उपमा | सदगुरु महिमा अगाधचि || तुका म्हणे कैसे आंधळे हे जन | गेले विसरुन ख-या देवा ||

Sunday, July 26, 2015

सकळ देवांचा नियंता |
माझी विठठल मातापिता ||
तो हा उभा विटेवरी |
कट धरुनिया करी ||
मिरवे वैजयंती माळा |
केशर कस्तुरीचा टिळा ||
मकराकार कुंडले |
करी शंखचक्र शोभले ||
एका शरण जनार्दनी |
विठठल पाहे ध्यानी मनी ||

Friday, July 24, 2015

नेणो विठो मार्ग चुकले |
उघडे पंढरपुरा आले |
भक्त पुंडलीके देखिले |
उभे केले विटेवरी ||

पंढरीसी जाय | तो विसरे बापमाय ||
अवघा होय पांडुरंग | राहे धरुनिया अंग ||
न लगे धन मान | देहभावे उदासीन ||
तुका म्हणे मळ | नासी तात्काळ ते स्थळ||

Sunday, July 19, 2015